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Sunday, July 10, 2022

Eid al Adha Bakrid 2022 in Barh Bakhtiyarpur

बाढ़ बख्तियारपुर और आस-पास के इलाके में आज मनाया जा रहा है ईद-उल-अजहा बकरीद का त्यौहार

Eid al Adha Bakrid 2022 in Barh Bakhtiyarpur
Eid al Adha Bakrid 2022 in Barh Bakhtiyarpur
Bakrid 2022 in Barh Bakhtiyarpur

आज 10 जुलाई को बाढ़ बख्तियारपुर और आस-पास के इलाके में ईद-उल-अजहा बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद या ईदगाह में जाकर नमाज अदा करते है। इस त्योहार को ईद-उल-अजहा या कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्यौहार धू अल-हिज्जा के 10 वें दिन या इस्लामी कैलेंडर के 12 वें महीने में मनाया जाता है। ईद-उल फित्र के बाद मुसलमानों का ये दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है।


बाढ़ बख्तियारपुर में ईद-उल-अजहा बकरीद का त्यौहार

ईद-उल-अजहा बकरीद त्यौहार के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नये कपडे पहनते है और बकरे को कुर्बानी देते हैं। बकरे की गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। जिसका एक हिस्सा खुद अपने लिए रखा जाता है, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है। इस तरह से मुस्लिम समाज के लोग आज के दिन बकरीद के मौके पर पुरानी शिकायत को दूर करके एक दूसरे के साथ बेहतर सम्बंध बनाये रखने का प्रयास करते हैं।


बकरीद त्यौहार का इतिहास

बकरीद त्यौहार के बारे में ऐसी मान्यता है कि हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। इसलिए वे   अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार करते थे। अपने बेटे के प्रति इतना प्यार देखकर अल्लाह ने उनका इम्तहान लेना चाहते थे। इसलिए एक रात अल्लाह ने उन्हें ख्वाब में हुक्म दिया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर दीजिए। इसलिए हजरत इब्राहिम ने अपनी सबसे प्यारी चीज बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया। और हजरत इब्राहिम अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की गर्दन पर चाकू रखकर हलाल कर दिया। जब उन्होंने आँखों से पट्टी हटाई तो उनके सामने एक बकरा हलाल पड़ा हुआ था और उनका बेटा सही सलामत खड़ा था। उसके बाद से बकरीद का त्यौहार बकरे को कुर्बानी देकर मनाया जाने लगा।

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