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Tuesday, July 5, 2022

Most Famous Person In Bakhtiyarpur

स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी के बचपन का नाम लड्डू शर्मा था। बालावस्था में ही जब महापंडित राहुल सांकृत्यायन की नजर इनपर पड़ी तब उन्होने इनका नाम बदल कर पंडित शीलभद्र याजी रख दिया। 2001 में पंडित शीलभद्र याजी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।

स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी जीवन परिचय
स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी
Most Famous Person In Bakhtiyarpur

बख्तियारपुर में सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति की बात की जाय तो सबसे पहला नाम आता है स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी का। जिन्होने देश की आजादी के लिए अंग्रेज़ो के खिलाफ अपने कारनामे से इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज कर लिया है। पंडित शीलभद्र याजी का जन्म बख्तियारपुर के एक किसान परिवार में 22 मार्च 1906 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित शिवतहल याजी और माता का नाम रेशमा याजी था। पंडित शिवतहल याजी सांडिल्य गोत्र और याजी भूमिहार समाज से थे इसलिए वे धार्मिक स्वभाव और अपने गृहस्त जीवन एवं खेती-बाड़ी के साथ भक्ति-भजन में लिन रहते थे। इसलिए लोग उन्हे भगतजी कहकर पुकारते थे। पंडित शीलभद्र याजी रेशमा याजी और पंडित शिवतहल याजी के इकलौते संतान थे। उनके बचपन का नाम लड्डू शर्मा था। बालावस्था में ही जब महापंडित राहुल सांकृत्यायन की नजर इनपर पड़ी तब उन्होने इनका नाम बदल कर पंडित शीलभद्र याजी रख दिया।


स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी जीवन परिचय

पंडित शीलभद्र याजी ने मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई बख्तियारपुर से किया था। पढ़ाई में अव्वल होने के कारण उन्हे स्कॉलरशिप भी मिला था। पंडित शीलभद्र याजी जब 10 वर्ष के थे तो उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। इतनी कम उम्र में माता-पिता का साथ छूटने के बाद पंडित शीलभद्र याजी अकेले पड़ गए। लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारा और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए वे अपने ननिहाल बाढ़ के वेढ़ना गाँव में रहने लगे। और बाढ़ के बेली हाई स्कूल मे उन्होने अपना दाखिला करवाया। बेली हाई स्कूल से उतिर्ण होने के बाद वे आगे की पढ़ाई करने के लिए पटना चले गए। उन्होने उच्च शिक्षा बिहार नेशनल कॉलेज पटना से हासिल किया।


Pandit Sheel Bhadra Yajee

पंडित शीलभद्र याजी युवा अवस्था छात्र जीवन से ही मात्र 14 वर्ष की आयु में अंग्रेज़ो के खिलाफ आवाज उठाने बाले कांग्रेस के साथ जुड़े और स्वतन्त्रता की राह पर चलने लगे। 1920 में उन्होने महात्मा गांधी के नेतृत्व मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा चलाये गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था। पंडित शीलभद्र याजी किसान परिवार से होने के कारण वे हमेशा किसानो के हित के लिए सोचते थे। इसलिए 1926 में वे पहली बार स्वामी सहजानन्द सरस्वती के संपर्क में आए और 1928 मे स्वामी सहजानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित किया गया बिहार किसान सभा के सदस्य बने। उसके बाद 1934 में जब बिहार किसान सभा का विस्तार किया गया तब उन्हे पटना जिला किसान सभा का अध्यक्ष बना दिया गया। 1928 मे जब कलकत्ता के कांग्रेस द्वारा अधिवेशन हुआ था तब पहली बार पंडित शीलभद्र याजी सुभाष चंद्र बॉस के संपर्क मे आए थे। पटना में 1930 से 1932 तक महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये सविनय अवज्ञा आंदोलन का पंडित शीलभद्र याजी संगठन निर्देशक बने थे। इस आंदोलन में उन्होने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।


Freedom Fighter Pandit Sheel Bhadra Yajee

1931 मे नेताजी सुभाष चंद्र बॉस की अध्यक्षता में पाकिस्तान के करांची में जो उस समय हिंदुस्तान में था नौजवान सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें इन्होने स्क्रिय सदस्य के रूप में अहम भूमिका निभाया था। उसके बाद 1936 में पंडित शीलभद्र याजी का विवाह नवादा जिला के पकड़िया गाँव के निवासी मुंशी सिंह की पुत्री बालकेश्वरी याजी से हो गया। वे किसानो की समस्या को उठाते रहे और किसान आंदोलन को मजबूत करने का काम किया इसके लिए उन्हे कई बार कांग्रेस पार्टी से समझौता भी करना पड़ा था। 1937 में वे बाढ़ के विधायक बने लेकिन इसके लिए उन्होने एक शर्त रखा की वे कभी मंत्री नहीं बनेगे। और निस्वार्थ भाव से किसानों के लिए काम करते रहे। डॉ सिन्हा के आग्रह के बावजूद भी उन्होने मंत्री पद स्वीकार नहीं किया। नेताजी सुभाष चंद्र बॉस ने जब अंग्रेजी शासन के खिलाफ जन जागृति अभियान छेड़ा था। तब पंडित शीलभद्र याजी के कहने पर ही नेताजी बिहार आये थे।


Pandit Sheel Bhadra Yajee Biography

बिहार के रामगढ़ में 20 मार्च 1940 को अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें सुभाष चंद्र बॉस ने कहा था “समझौता परस्ती एक अपवित्र वस्तु है” इस सम्मेलन में इन्होने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसके फलस्वरूप 1942 में नेता जी के अनुपस्थिति में इन्हे फारवर्ड ब्लॉक के अध्यक्ष बना दिया गया। भारत को गुलामी के बेड़ियों से मुक्त कराने के प्रयास में पंडित शीलभद्र याजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा। और वे देश के कई जेलों में लगभग 8 साल तक बंद रहे एवं करीब ढाई साल तक भूमिगत रहे। रॉयल ब्रीटीश नेवी में भारतीय सैनिको ने फरवरी 1946 में विद्रोह कर दिया था। जिसको भड़काने के आरोप में अंग्रेज़ो ने इन्हे जेल में बंद कर दिया था। उन्हे ऑर्थर रोज जेल से तब रिहा किया गया जब भारत को आजादी मिल गई थी।


Biography Of Pandit Sheel Bhadra Yajee

1957 से 1972 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान उन्होने सामाजिक एवं श्रम समस्याओं के रूपरेखा तैयार करने में अपना योगदान दिया। साथ ही किसानो और मजदूरो की समस्या को वे राजयसभा में भी उठाते रहे। राजयसभा में उन्होने आजाद हिन्द फौज के समर्थन में वकालत भी किया था। पंडित शीलभद्र याजी की मृत्यु 28 जनवरी 1996 को हुई थी। नई दिल्ली के फ़्रीडम फाइटर कॉलोनी में पंडित शीलभद्र याजी की कांस्य प्रतिमा लगाई गई है। 2001 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पंडित शीलभद्र याजी के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया है।

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